धर्म का मूल वेद ही है, जो भी विचार मत-मतान्तरों में श्रेष्ठ हैं, वे सब वेद के हैं तथा जो गलत-अनुचित है, वह सब मतवादियों का अपना है।

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Mat Matantaro ka Mul Srot Ved

80

 

Specifications :

Cover Paper Back
Length (cms) 21.7
Width (cms) 14
Height (cms) 1
Qty Single Book
Translation / Original Original
Translator
Current Copy Year 1999
Total Page 172

 

 

 

 

 

 

 

 

 

धर्म का मूल वेद ही है, जो भी विचार मत-मतान्तरों में श्रेष्ठ हैं, वे सब वेद के हैं तथा जो गलत-अनुचित है, वह सब मतवादियों का अपना है।